शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

डर व्याप्त सदा हो जिस मन में....नीतू ठाकुर


डर व्याप्त सदा हो जिस मन में,
जीवित वो मृतक समान लगे,
कुंठा से मन व्याकुल प्रति पल,
कैसे सुंदर ये जहान लगे ,

भयभीत ह्रदय, विचलित लोचन,
कर्तव्य क्षीण हो क्षण प्रति क्षण,
सब लुप्त हुए हर गुण-अवगुण,
गुणवान भुला बैठे हर प्रण ,

क्यों करें गुलामी धनिकों की,
क्यों स्वाभिमान का नाश करें,
क्यों इतने सस्ते हो जायें की,
ये दुनिया उपहास करे,

नस नस में जोश समाया है,
ये क्यों तुमने बिसराया है ,
ना जाने कितने पुण्य कर्म से,
मानव तन को पाया है,

ईश्वर है हर पल साथ तेरे,
फिर क्यों ऐसे भरमाया है,
लड़ता है जो अपने डर से,
उसने ही जीवन पाया है,
    
उत्साह भरो जीवन में तुम,
नव जीवन का आगाज करो,
इंसान हो तो इंसान रहो,
अपने जीवन पर नाज करो,

मृत्यू से यदि भय लगता है,
तो जीने का अधिकार नही,
यूँ घुट घुट कर जीवन यापन,
मानवता को स्वीकार नही ,

धरती से लेकर अंबर तक,
यह शंख नाद पहुँचाना है,
अब भय को हमसे भय लागे,
ऐसा निर्भीक बनाना है,  

         - नीतू ठाकुर        
   
  

19 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!! सुंदर नीतू जी, स्वाभिमानी जीवन के सुंदर सिद्धांत है आपकी उत्कृष्ट रचना।
    अप्रतिम।

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  2. वाह! बहुत सुन्दर!! आपकी रचनाओं का निखर बढ़ते जा रहा है, बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. अप्रतिम नीतू जी बहुत खूब स्व को जाग्रत करती रचना नीतू जी
    स्वभिमान सर्वस्व है

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 16 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-04-2017) को "बदला मिजाज मौसम का" (चर्चा अंक-2941) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. वाह्ह्ह्
    बहुत ही बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. नीतू जी,मन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह करती आपकी रचना बहुत सुंदर लगी।👌

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  8. वाह!!नीतू जी ,बहुत सुंंदर । मध मेंं जोश जागृत करने वाली ,सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण ।

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  9. आप बहुत खूबसूरत लिखती हैं नीतू जी

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  10. बेहतरीन, शानदार, लाजवाब एवं सकारात्मकता से ओतप्रोत
    बहुत ही सुन्दर रचना...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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