रविवार, 26 जनवरी 2020

कह मुकरी ... नीतू ठाकुर 'विदुषी'

कह मुकरी
नीतू ठाकुर 'विदुषी'

चिकना तन और पतली काया
सारे जग का मन भरमाया
नूतन रोज दिखाता स्टाइल
हे सखि साजन? ना मोबाइल

सबके मन में खौफ बनाता
अच्छे खासों को जो समझाता
पीट पीट कर करता ठंडा
हे सखि साजन? ना सखि डंडा

जो भूकंपी दाड़ बजाता
गुस्सा जिसको ऐसा आता
कितनो को तो मार पछाड़ा
हे सखि दानव? ना सखि जाड़ा

नही किसी से जो है डरता
हर कोई उससे है मरता
जिसका रूप करे बेहाल
हे सखी सर्प ? ना सखी काल

रातों का जो साथी रहता
साथ रहूंगा जो यूँ कहता
दुःख में जो देता है संबल
हे सखि साजन? ना सखि कम्बल

नीतू ठाकुर 'विदुषी'

19 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है..नीतू जी
    बहुत बढ़िया

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  2. वाहहहह बेहद खूबसूरत कह मुकरी सखी

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 27 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-01-2020 ) को " चालीस लाख कदम "(चर्चा अंक - 3594) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ...
    कामिनी सिन्हा

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  5. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर कहमुकरी....

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  6. बहुत सुंदर! अमीर खुसरो जी की मोहक विधा पर कलम चलाना और इतना शानदार सृजन करना,वाह! हृदय तल से बधाई।

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  7. एक विलुप्त होती विधा को नवजीवन देने का सार्थक प्रणाम प्रिय नीतु। सस्नेह शुभकामनायें। 🌹🌹🌹🌹🌹

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  8. स्वर व्यंजन की ये गलबाहीं
    शब्द-शब्द में रस भर लाहीं।
    मन में कैसी उठाये हुक री,
    के सखी साजन!ना सखी, मुकरी!!!

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  9. वाह आदरणीया अति सुन्दर कहमुकरी 👌👌👌👌

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