पहलगाम का किस्सा पूछो
मेंहदी लगी हथेली से ।
प्रिय के शव पर अश्रु बहाती
नव परिणीता अकेली से ।।
धर्म पूँछकर लज्जित करते
तन पर निर्मम वार किए
बैठे हैं आतंकी आका
वादी पर अधिकार किए
कश्यप की धरती फिर उलझी
मुस्लिमवाद पहेली से।।
कश्मीरी घाटी आकर्षण
मानो चकनाचूर हुआ
हर भारतवासी का अंतस
रोने को मजबूर हुआ
छीन रहे सिन्दूर मांग का
सहमी दुल्हन नवेली से ।।
आतंकी हमलों ने पावन
धरती को बदनाम किया
हुई मनुजता जग में लज्जित
नीच अमानुष काम किया
गंगा की लहरें हैं क्रोधित
दूषित सिंधु सहेली से ।।
नीतू ठाकुर 'विदुषी'