मेरे लिबास से मेरी औकात का अंदाजा न लगा
इस फटी कमीज़ में करोड़ों के बिल रखता हूँ
उधार की ज़िंदगी और मिट्टी के तन में
मोहब्बत भरा कोहिनूर सा दिल रखता हूँ
लोग लगे हैं मेरी हस्ती मिटाने में
मै तो बस निगाहों में मंजिल रखता हूँ
सुना है टूटा हुआ दिल जुड़ता नही है
इसी लिए दिल को थोड़ा संगदिल रखता हूँ
बेफिजूल बोलना तो हमें आता ही नही
मै तो हमेशा मुद्दे की बात रखता हूँ
एक बार मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर तो देख
मै कितनी मोहब्बत से तेरी हथेली पर हाथ रखता हूँ
भीड़ जुटाने का शौक नही है हमें
बस दो -चार दोस्त साथ रखता हूँ
बेमतलब की यारी का फायदा क्या है
दोस्त कम रखता हूँ पर खास रखता हूँ
अधूरे ख्वाब और टूटे हुए हैं अरमान तो क्या
दिल के कोने में ये भी एक सौगात रखता हूँ
पूछ सकता हूँ खुदा से दिल टूटने का सबब
खुदा के दर पर इतनी औकात रखता हूँ
नीतू ठाकुर