मै दर्द की एक परछाई हूँ
अश्कों से निकल कर आई हूँ
मै भी तन्हा हूँ तेरी तरह
इस दुनिया की ठुकराई हूँ
इस दिल में छुपी उदासी हूँ
मै भी चाहत की प्यासी हूँ
अनचाहा सा एहसास हूँ मै
फिर भी हर दिल के पास हूँ मै
हर गम की साझेदार हूँ मै
अपने दिल से बेजार हूँ मै
मै भी कुदरत की तराशी हूँ
जाने क्यों आज रुआंसी हूँ
मै तेरे दिल की दासी हूँ
माना की जरा जुदा सी हूँ
आती हूँ एक बुलावे पर
पर खुद कितनी तन्हा सी हूँ
दो तन्हा दिल मिल जाएँ तो
शायद हालात बदल जाये
ये आलम बड़ा उदास सा है
दो तन्हा दिल बहल जाएँ
कुछ गम तेरे मै बाटूंगी
कुछ हाल हमारा सुन लेना
हर शर्त तेरी मंजूर मुझे
जो मर्जी हो वो चुन लेना
- नीतू ठाकुर