गुरुवार, 10 मई 2018

इल्म की सौगातें.... नीतू ठाकुर


इंतजार, इजहार, गुलाब, ख्वाब, वफ़ा, नशा
उसे पाने की कोशिशें तमाम हुई, आजमाइशें सरेआम हुई

अदब, कायदा, रस्में, रवायतें, शराफत, नेकी 
हर घडी बेजान हुई, रिश्तों की गहराइयां चुटकियों में तमाम हुई 

इज्जत, ईमान, हया, नजाकत, मासूमियत, पाकीजगी 
वक़्त के साथ कुर्बान हुई, खानदान की अस्मत बेपर्दा खुलेआम हुई  

सवाल, सलाह, मशवरा, हिदायतें, नसीहतें, फिक्र,  
जब से चुभने का सामान हुई, इल्म की सौगातें भी जैसे हराम हुई       

बदजुबानी, बदतमीजी, बदमिजाजी,बेखयाली, बेअदबी, बेशर्मी 
जब से अंदाज-ए-गुफ्तगू बदनाम हुई, बुजुर्गों की जुबान बेजुबान हुई

हवस, हैवानियत, दरिंदगी, वहशीपन, आतंक, खौफ,
जब से ये बातें आम हुई, इंसानों की इंसानियत गुमनाम हुई     

                                 - नीतू ठाकुर 


   

30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह...मस्त...लाज़वाब नीतू...👌👌
    बधाई हो बहुत सुंदर रचना लिखा आपने विशेषांक के लिए😊

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    1. सुन्दर प्रतिक्रिया। बहुत बहुत आभार सखी श्वेता जी।

      हटाएं
  2. वाआआह....
    बेहतरीन....
    शुभकामनाएँ....

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह वाह. क्या खूब लिखा आपने. क्या कहने बहुत सुन्दर

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  4. वाह वाह क्या खूब ...👏👏👏👏👏👏

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  5. वाह!!वाह!!क्या बात है नीतू जी ,बहुत खूब !!

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  6. वाह सखी वाह सचमुच लाजवाब।

    तोहमत नही ये सच है जमाने का
    बेपर्दा कर दिया आपके अंदाज ने।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार ....सुन्दर प्रतिक्रिया।
      आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही उत्साह बढाती है, और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है।

      हटाएं
  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-05-2017) को "देश निर्माण और हमारी जिम्मेदारी" (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. आदरणीय मेरी रचना को मान देने हेतु बहुत बहुत आभार।
      आशिर्वाद बनाये रखें।

      हटाएं
  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १४ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  9. एक टिस जब मन में अखरती है तब कलम से उस पर मरहम किया जाता है।
    बस यह वही रचना हैं।
    बहुत ही खूबसूरत।

    मेरे शेर को आधार बनाकर जमाने भर की चारासाजी कर दी आपकी इस रचना ने ।

    आभार

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    उत्तर
    1. आप की प्रतिक्रिया बहुमूल्य है मेरे लिए
      बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  10. गज़ल में व्यंग्य कहने का निराला अंदाज लिए है आपकी रचना। बधाई। सादर।

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    उत्तर
    1. आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।
      यूँ ही आशीष बनाये रखें।

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  11. वक़्त बड़ा बलवान है ...
    उसके साथ बहुत से बदलाव साथ चलते हैं ... सार्थक रचना है ...

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  12. लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

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  13. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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