मेरा अक्स आज मुझसे , नजरें चुरा रहा है
कल तक जो जान था वो , अब दूर जा रहा है
किस बात से खफा है , जो आज यूँ जुदा है
आँखों को ख्वाब देकर , खुद ही मिटा रहा है
माना ये दिल नही था , तेरी आरजू में शामिल
दिले बेरुखी से अपनी , उसे क्यों जला रहा है
नादान है वो कितना , जिसको खबर नही है
यादों से ही हूँ जिन्दा , जिन्हें वो भुला रहा है
बरसों जिसे तलाशा , वही इंतज़ार है वो
मेरे दिल को यूँ रुला के , जो मुस्कुरा रहा है
तुम पर यकीन करना , शायद खता थी मेरी
दिल फिर भी कह रहा है , वो कुछ छुपा रहा है
ग़मे ज़िंदगी हमारी , जिसे छोड़ आये तन्हा
वीरान दिल का साया , हमें फिर बुला रहा है
मेरी साँस थम रही है , ये वजूद मिट रहा है
मुझे फिर भी लग रहा है , वो गले लगा रहा है
- नीतू ठाकुर