गुरुवार, 6 सितंबर 2018

हर गीत तुम्हारे नाम लिखूंगी.....नीतू ठाकुर


हे मितवा मनमीत मेरे
हर गीत तुम्हारे नाम लिखूंगी
शब्दों में जो बंध ना पाये
ऐसे कुछ अरमान लिखूंगी

प्रीत के पथ के हम दो राही 
तेरा नेह बनाकर स्याही 
अपने अनुरागी जीवन में 
तुझको अपनी जान लिखूंगी 

खुद को खोकर तुझको पाया
ईश मेरे मै तेरी छाया
अपना सबकुछ अर्पण करके
तुझको ही पहचान लिखूंगी

जन्मों जनम तुम्हीं को चाहूँ 
तुमको पाकर सब बिसराऊँ 
रंग जाऊँगी रंग में तेरे 
मै खुद को अनजान लिखूंगी 

तुझसे है श्रृंगार हमारा 
मै आश्रित तू मेरा सहारा 
एक दूजे के पूरक बनकर 
तुझको अपना मान लिखूंगी 

- नीतू ठाकुर 



34 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सखी अद्भुत श्रृंगार रचना!
    समर्पण की इंतहा क्या हो सकती है आपने अपनी अनुरागी लेखनी से अंकित कर दिया।
    बहुत सुंदर प्यारी रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी कुसुमजी।
      आप की प्रतिक्रिया पढ़कर मन नाचने लगा।
      सारे संशय मिट गये। लेखन सार्थक हुआ।

      हटाएं
  2. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना
    रंग जाऊंगी रंग में तेरे
    मै खुद को अनजान लिखूंगी

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    1. बहुत बहुत आभार अनुराधा जी। सुन्दर प्रतिक्रिया।
      आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही उत्साह बढाती है, और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है।

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  3. बेहद ख़ूबसूरत सृजन मैम... शुभेच्छाएँ👌👌👌👏👏👏💐💐💐

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  4. वाह!!!!! प्रिय नीतू आज तो इतना सुंदर मनमोहक गीत लिख कमाल कर दिया आपने !! प्रेम के चरम को छुती और कोमल एहसासात से सजी इस हंसती गाती रचना के लिए हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनायें | इसमें पिरोई प्रीत अक्षुण हो | सस्नेह |

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  5. बहुत खूबसूरत अहसास से सजी बहुत प्यारी रचना
    शानदार

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  6. ही मितवा मन मीत मेरे
    हर गीत तुम्हारे नाम लिखूँगी
    शब्दों में जो बंध ना पाए
    एर कुछ अरमान लिखूँगी
    बेहतरीन रचना .....

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-09-2018) को "मँहगाई पर कोई नहीं लगाम" (चर्चा अंक-3088) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई जी को नमन और श्रद्धांजलि।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद

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  8. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/09/2018 की बुलेटिन, कली कली से, भौंरे भौंरों पर मँडराते मिलेंगे - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    उत्तर
    1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार

      हटाएं
  9. बहुत बहुत ही सुंदर शब्दों में पिरोई हुई प्यार के अहसास से भरी हुई रचना

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  10. बेहतरीन.....हृदय और कुछ शब्दों का मिश्रण ।

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  11. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १० सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  12. निमंत्रण विशेष :

    हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।

    यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !

    'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  13. समर्पण का ख़ूबसूरत राग।
    बकौल डॉक्टर कुँवर बेचैन -"प्रेम का आधार इंतज़ार माना जाता है।"
    प्रभावशाली रचना है जिसमें प्रणय की अभिव्यक्ति में निखार झलक रहा है।
    बधाई एवं शुभकामनायें।

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    1. आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए। आशिर्वाद बनाये रखें।

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  14. रंग जाउंगी रंग में तेरे...
    मैं खुद को अनजान लिखूंगी
    पूर्णत समर्पित प्रेम
    उम्दा रचना.
    आत्मसात 

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  15. श्रृंगार से ओत प्रोत शानदार रचना

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