बुधवार, 12 सितंबर 2018

बेखौफ लहरें .....नीतू ठाकुर


जरा तहज़ीब सिखलाये , कोई बेखौफ लहरों को 
जो अक्सर तोड आती हैं , कड़े सागर के पहरों को 

सुनाती हो भला क्यों यूँ , प्रलय का गीत बहरों को 
तुम्हारे खेल में मिटते हुए , देखा है शहरों को

मिटाकर क्या मिला तुमको , नही कुछ साथ ले जाती 
भयानक याद बनती हो ,जो बिछड़ों को नही भाती 

तेरी नादानियों से सूर्य  भी , बेनूर लगता है 
अंधेरी रात में चंदा , शर्म से चूर लगता है 

क्षितिज के पार देखो , चांदनी आंसू बहाती है 
तेरा साया जहाँ पड़ता , सिसकती भोर आती है 

ये टूटे आशियाँ आँखों में , बिखरे ख्वाब बाकी हैं 
दिए सौगात में आंसू , बता तू कैसा साकी है 

 - नीतू ठाकुर 

21 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी नादानियों से सूर्य भी बेनूर लगता है
    अंधेरी रात में चंदा शर्म से चूर लगता है वाह बहुत सुंदर रचना 👌👌

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  2. बहुत सुन्दर ...बहुत लाजवाब...
    वाह!!!
    मिटाकर क्या मिला तुमको,नहीं कुछ साथ ले जाती
    भयानक याद बनती हो जो बिछड़ो को नहीं भाती....

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.9.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3093 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  4. जरा तहज़ीब सिखलाये , कोई बेखौफ लहरों को
    जो अक्सर तोड आती हैं , कड़े सागर के पहरों को

    सुनाती हो भला क्यों यूँ , प्रलय का गीत बहरों को
    तुम्हारे खेल में मिटते हुए , देखा है शहरों को...

    बहुत बहुत शानदार। बेमिसाल आदरणीया नीतू जी।

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    उत्तर
    1. आप को रचना पसंद आई लेखन सार्थक हुआ.... शुक्रिया।

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  5. खूबसूरत अशआर
    कोमल अहसास से सजी सुन्दर रचना

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १७ सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति। पहला और दूसरा बंध तो बेहद प्रभावपूर्ण है।

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  8. इन बेखौफ लहरों को न जाने किन का साथ मिल जाता है और ये उफन आती हैं ...
    लाजवाब शेर हैं सभी .... बेमिसाल ...

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  9. बता तू कैसा साकी है..

    शानदार लाजवाब

    जवाब देंहटाएं

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