आँसुओं से लिखी ग़ज़ल हमने,
मेरे हमदम तेरी कहानी है,
अश्क़ टपके जो मेरी आँखों से,
लोग सोचेंगे ये दीवानी है,
वादा करना और मुकर जाना
तेरी आदत बहुत पुरानी है
फिर भी तुझ पर यकीन करता है
ये तो दिल की मेरे नादानी है
क्या करेंगे तुम्हारी दौलत का
मिट रही हर घडी जवानी है
मै जो कहती हूँ लौट आवो तुम
मेरी तन्हाईयाँ बेमानी है
लड़खड़ाते हुए कदम तेरे
मेरी चाहत की ही नाकामी है
मिट रही हर घडी मोहब्बत को
अब तो यादों को ही बचानी है
- नीतू ठाकुर