गुरुवार, 23 नवंबर 2017

आँसुओं से लिखी ग़ज़ल...नीतू ठाकुर


आँसुओं से लिखी ग़ज़ल हमने, 
मेरे हमदम तेरी कहानी है,
अश्क़ टपके जो मेरी आँखों से, 
लोग सोचेंगे ये दीवानी है, 

वादा करना और मुकर जाना 
तेरी आदत बहुत पुरानी है 
फिर भी तुझ पर यकीन करता है 
ये तो दिल की मेरे नादानी है 

क्या करेंगे तुम्हारी दौलत का 
मिट रही हर घडी जवानी है 
मै जो कहती हूँ लौट आवो तुम 
मेरी तन्हाईयाँ बेमानी है 

लड़खड़ाते हुए कदम तेरे 
मेरी चाहत की ही नाकामी है 
मिट रही हर घडी मोहब्बत को 
अब तो यादों को ही बचानी है 

                    - नीतू ठाकुर 
                  

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-11-2017) को "लगता है सरदी आ गयी" (चर्चा अंक-2797) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह्ह्ह...नीतू जी....बहुत खूब...
    बहुत सुंदर नज़्म👌👌

    वादा करना और मुकर जाना
    तेरी आदत बहुत पुरानी है
    फिर भी तुझ पर यकीन करता है
    ये तो दिल की मेरे नादानी है

    दिल का दर्द.पन्नों.पर उकेर दिया आपने।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सखी सुंदर प्रतिक्रिया।
      मन खुश कर गई आप की प्रतिक्रिया।

      हटाएं

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