गुरुवार, 26 जुलाई 2018

किस्मत के फैसले.... नीतू ठाकुर


न जाने किसके हाथ हैं किस्मत के फैसले 
बढ़ती ही जा रहीं हैं राहों की मुश्किलें 
सजदा करें तो किसके दर पर करें बता ?
कब तक रहेंगे कायम इस दिल के हौसले ?

नेकी और शराफत भी बेकार हो गए 
मेहनत के पसीने भी बेजार हो गए 
काटों भरी हैं राहें मंजिल भी लापता 
तकदीर लिखनेवाले अपना पता बता ?

किस जुर्म की सजाएँ सहते रहें हैं हम 
जो हमसफ़र बनें हैं इस जिंदगी के गम 
कोई तो रास्ता हो कोई तो हो दयार 
कब तक करेगी जिंदगी खुशियों का इंतजार ?

दिखते नही क्या जुल्म ? सुनता नही क्या आहें ?
किससे करें फरियाद गम में किसे बुलाएँ ?
इतनी भी देर ना कर की उम्र गुजर जाये 
जब सामने हों खुशियाँ तब हम न नजर आएं 

                 - नीतू ठाकुर 

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

मनवा डोले जैसे हिंडोला ....नीतू ठाकुर


एक तरफ बाबुल की गलियाँ 
एक तरफ संसार पिया का 
किसको थामूं किसको छोडूं 
दोनों हैं आधार जिया का 

आगे कुँवा तो पीछे खाई 
जगने कैसी रीत बनाई 
किस्मत ने क्या खेल है खेला 
मनवा डोले जैसे हिंडोला 

अपनों को क्यों गैर बनालूं 
गैरों को कैसे अपनालूं 
चीर के अपनी माँ का आँचल 
कैसे अपनी शाल बनालूं 

क्यों अरमान मिटा लूँ अपने 
क्यों सपनों को आग लगालूं 
इन पैरों में बांध के बेड़ी 
मन में झूठे स्वप्न सजालूं 

एक तरफ है बचपन सारा 
दूजी  ओर किस्मत का तारा 
भूत ,भविष्य खड़े हैं दोनों 
क्या होगा अंजाम हमारा 

       - नीतू ठाकुर  

गुरुवार, 12 जुलाई 2018

पंख कटे पैरों में बेड़ी..... - नीतू ठाकुर


पंख कटे पैरों में बेड़ी
गुजरी उम्र बची बस थोड़ी
मिट्टी से जन्में पुतलों को
मिट्टी में मिल जाना है

एक बार बस एक बार
उस अंबर को छू आना है 

रीत, रिवाज, समाज के डर से 
खुद को मुक्त कराना है 
लाचारी की छोड़ दुशाला 
दुनिया से टकराना है 

एक बार बस एक बार 
उस अम्बर को छू आना है 

तुच्छ ,हीन ,अज्ञानी बनकर 
शून्य नही रह जाना है 
अर्थहीन जीवन को अपने 
अर्थवान कर जाना है 

एक बार बस एक बार 
उस अंबर छू आना है 

इस दुनिया के नक़्शे पर 
अपनी पहचान बनाना है 
जीवन एक संकल्प बनाकर 
जन्म सफल कर जाना है 

एक बार बस एक बार 
उस अंबर को छू आना है 

          - नीतू ठाकुर 

चित्र साभार - गूगल 

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