न जाने किसके हाथ हैं किस्मत के फैसले
बढ़ती ही जा रहीं हैं राहों की मुश्किलें
सजदा करें तो किसके दर पर करें बता ?
कब तक रहेंगे कायम इस दिल के हौसले ?
नेकी और शराफत भी बेकार हो गए
मेहनत के पसीने भी बेजार हो गए
काटों भरी हैं राहें मंजिल भी लापता
तकदीर लिखनेवाले अपना पता बता ?
किस जुर्म की सजाएँ सहते रहें हैं हम
जो हमसफ़र बनें हैं इस जिंदगी के गम
कोई तो रास्ता हो कोई तो हो दयार
कब तक करेगी जिंदगी खुशियों का इंतजार ?
दिखते नही क्या जुल्म ? सुनता नही क्या आहें ?
किससे करें फरियाद गम में किसे बुलाएँ ?
इतनी भी देर ना कर की उम्र गुजर जाये
जब सामने हों खुशियाँ तब हम न नजर आएं
- नीतू ठाकुर