पंख कटे पैरों में बेड़ी
गुजरी उम्र बची बस थोड़ी
मिट्टी से जन्में पुतलों को
मिट्टी में मिल जाना है
एक बार बस एक बार
उस अंबर को छू आना है
रीत, रिवाज, समाज के डर से
खुद को मुक्त कराना है
लाचारी की छोड़ दुशाला
दुनिया से टकराना है
एक बार बस एक बार
उस अम्बर को छू आना है
तुच्छ ,हीन ,अज्ञानी बनकर
शून्य नही रह जाना है
अर्थहीन जीवन को अपने
अर्थवान कर जाना है
एक बार बस एक बार
उस अंबर छू आना है
इस दुनिया के नक़्शे पर
अपनी पहचान बनाना है
जीवन एक संकल्प बनाकर
जन्म सफल कर जाना है
एक बार बस एक बार
उस अंबर को छू आना है
- नीतू ठाकुर
चित्र साभार - गूगल
अंबर को छू आना यही बात हमें जीवन
जवाब देंहटाएंमें कितना कुछ करने के लिए प्रेरित करती
है। बेहतरीन रचना 🙏
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रतिक्रिया दी आप ने रचना के मर्म को समझा ।
वाह!!नीतू जी ,बहुत ही उम्दा रचना !!
जवाब देंहटाएंएक बार बस एक बार उस अंबर को छू जाना है ..
वाह!!लाजवाब !!
बहुत बहुत आभार शुभा जी।
हटाएंआप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।
वाह सखी वाह सचमुच मन खुश हो गया, बहुत सुंदर संकल्प,
जवाब देंहटाएंअब तोड के बेडी उजडना है बस उजडना है
नीला अम्बर दूर सही बस एक बार तो छूना है ।
अप्रतिम अतुलनीय।
शानदार प्रतिक्रिया देती है आप।
हटाएंप्रिय सखी कुसुम जी ह्रदय से आभार।
वाह बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंएक बार बस एक बार
उस अंबर को छू आना
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंबहुत अच्छी प्रतिक्रिया .... स्नेह बनाये रखें।
बहुत सुन्दर रचना नीतू जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/07/78.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंये सच है की चंद सांसें ही हैं और फिर अनंत की यात्रा वी भी है या नहि किसने देखा ...
जवाब देंहटाएंवक बार तो मन की उन्मुक्त उड़ान पूरी करनी चाहिए अपनी पहचान बनानी चाहिए ...
लाजवाब रचना ...
आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंआदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंKisi Se Umeed Lagaye Ho Kaun Hai Wahan Jo Tumhari Pooja Karega natmastak hoga Tumhare Pyar Ke Samne hey Shakti hey Shakti Tum Hi Jeevan Ho Mera Tumhe Baar Baar Naman hai Naman hai
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