यह रचना सरकार के विरुद्ध नही है पर अन्नदाता से गद्दारी नही कर सकते....
आज स्ट्रॉबेरी उगाओ
ये नई तकनीक आई
आय दुगनी हो सकेगी
बात सेवक ने बताई
दो गुनी क्या चीज है फिर
दस गुनी का ज्ञान भी है
रोपनी है कृषि अफीमी
सौ गुनी का ध्यान भी है
जिद्द पर सरकार बैठी
हो सके यूँ सब भलाई
आज की बेरोजगारी
देश में खुशियाँ मनाती
ये चतुर सरकार देखो
एक मुद्दे पर न आती
चूमती नभ दर विकासी
भाषणों में नित बताई
बोलती सरकार है जब
आज अच्छे दिन तुम्हारे
मानते जो हैं नही ये
देशद्रोही वो हमारे
रीत सत्ता जो चलाती
बात उसने ये सिखाई
धान बाली रो रही है
देख कर अपनी गरीबी
व्यर्थ सारे श्रम हुए हैं
स्ट्रॉबेरी लगती करीबी
रोटियां रूठी हुई हैं
खीर सत्ता ने बनाई
स्वप्न सुंदर बेचते हैं
गोलियाँ मीठी खिलाकर
शेखचिल्ली भी लजाता
इक स्वयं का शिष्य पाकर
शर्म से भारत झुका है
किरकिरी देती दिखाई
चाहतें सरकार की हैं
तुगलकी फरमान जैसे
माननी सबको पड़ेंगी
हो सके ये सत्य कैसे
दूत यम के बन खड़े हैं
इक ध्वजा उसको थमाई
आज आंदोलन मिटाना
चाहती सरकार अपनी
एकता को तोड़ कर यूँ
अब दिखाती धार अपनी
बात समझें नाक की क्यों
सच न देता क्यों सुनाई
नीतू ठाकुर 'विदुषी'