बन अराजक तत्व घेरे
ये कृषक दिल्ली हमारी
कष्ट उल्का पिंड बरसा
दोष में सरकार सारी
आज आतंकी दिखे क्यों
शांति के जो हैं उपासक
फिर स्वयं झंडा लगाकर
चाहता क्या आज शासक
रात दिन षड्यंत्र रचती
आज की सरकार न्यारी
रोग कोरोना रुलाये
अश्रु से सूखा नही था
तब किसानी धौर्य चमका
देश जो भूखा नही था
आज अपने इस कृषक की
त्रासदी किसने निहारी
ऋण भला क्यों माँगती है
श्रेष्ठ ये सरकार ऐसे
ये कृषक बिन ऋण सबल जब
बेचते क्यों रेल जैसे
छोड दे लालच अगर ये
ढाल अपनी सोच प्यारी
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
Wahhh....
जवाब देंहटाएंवाह, बेहद खूबसूरत रचनाएं, बधाई हो।
जवाब देंहटाएंसुन्दर समसामयिक सृजन..
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंसुंदर समसामयिक नवगीत 👌👌👏👏💐💐💐💐लोकतंत्र को शर्मसार करती आतंकवादी गतिविधि पर सटीक व्यंग
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