न जाने किसके हाथ हैं किस्मत के फैसले
बढ़ती ही जा रहीं हैं राहों की मुश्किलें
सजदा करें तो किसके दर पर करें बता ?
कब तक रहेंगे कायम इस दिल के हौसले ?
नेकी और शराफत भी बेकार हो गए
मेहनत के पसीने भी बेजार हो गए
काटों भरी हैं राहें मंजिल भी लापता
तकदीर लिखनेवाले अपना पता बता ?
किस जुर्म की सजाएँ सहते रहें हैं हम
जो हमसफ़र बनें हैं इस जिंदगी के गम
कोई तो रास्ता हो कोई तो हो दयार
कब तक करेगी जिंदगी खुशियों का इंतजार ?
दिखते नही क्या जुल्म ? सुनता नही क्या आहें ?
किससे करें फरियाद गम में किसे बुलाएँ ?
इतनी भी देर ना कर की उम्र गुजर जाये
जब सामने हों खुशियाँ तब हम न नजर आएं
- नीतू ठाकुर
इतनी भी देर ना कर की उम्र गूजर जाऐ
जवाब देंहटाएंजब सामने हो खुशियाँ तब हम न नजर आयें. ..
वाह अतिसुन्दर अतुलनीय सखी बहुत सुन्दर कहा आपने तकदीर का फसाना।
बहुत बहुत आभार सखी कुसुम
हटाएंआप की प्रतिक्रिया हौसला बढ़ा गई
बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढी..बहुत सुंदर संवेदनशील रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए। आशिर्वाद बनाये रखें।
हटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-07-2018) को "कौन सुखी परिवार" (चर्चा अंक-3045) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आप का मेरी रचना को स्थान देने के लिए । आशिर्वाद बनाये रखें।
हटाएंकब तक करेगी जिंदगी खुशियों का इंतजार वाह बेहतरीन रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत अच्छी प्रतिक्रिया .... स्नेह बनाये रखें।
वाह!!बहुत खूब ! नीतू जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुभा जी।
हटाएंबेहतरीन सृजन आदरणीया वाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंwaah kya baat hai
जवाब देंहटाएंbahut khub panktiyaan....
Bahut Bahut abhar aap ka....sundar pratikriya
हटाएंतकदीर लिखनेवाले अपना पता बता...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लिखा है आपने।।।।
बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंये क़िस्मत के फ़ैसले अपने हाथ में ही होते हैं और कई बार कर्मों अनुसार तय होते हैं ..।
जवाब देंहटाएंबहुत सादगी से लिखा है आपने क़िस्मत के इन खेलों को ...
सुंदर रचना है ...
आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए। आशिर्वाद बनाये रखें।
जवाब देंहटाएंनीतू जी , इतना दर्द ,इतनी गहराई क्ैसे उपजी, नहीं पता लेकिन दिल को छू लेने वाली और देर तक ज़हन पर छाने वाली रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंयूँ ही आशीष बनाये रखें।
वाह वाह बहुत खूब नीतू जी ..
जवाब देंहटाएंतकदीर लिखने वाले तेरा पता बता ....बहुत खूब ....
आज मुरारी फंसे जाल में
क्या उत्तर दे पाते
कैसे बताते हम तो यारों
भक्तों के दिल में रहते !
डर के मारे चुप्पी साधे
टुकुर टुकुर देखें जाये
कर्मों का फल लेना पड़ता
स्वयं नरायण भी दुख पाये !
बहुत बहुत आभार
हटाएंआप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विजय दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आप का मेरी रचना को स्थान देने के लिए । आशिर्वाद बनाये रखें।
हटाएंहृदयस्पर्शी सुन्दर रचना नीतू जी
जवाब देंहटाएंआप को रचना पसंद आई लेखन सार्थक हुआ
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ३० जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया आप का मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।
हटाएंNitu ji Nice Writing..
जवाब देंहटाएंProper Noun
General Knowledge