मौत से पूछा जो हमने
देर कर दी आते आते
मौत अचरज से निहारे
देख मुझको मुस्कुराते
ज़िंदगी ने इस कदर
लूटी हमारी ज़िंदगी
अब तो दिल करता है हर पल
मौत की ही बंदगी
ज़िंदगी तो ख्वाब है
एक दिन मिट जाएगी
मौत है असली हकीकत
एक दिन टकराएगी
मौत से बढ़कर कोई भी
चाहने वाला नहीं
मिल गई एक बार तो फिर
छोड़कर न जाएगी
ज़िंदगी से खूबसूरत
मौत की हर एक अदा
देख ले एक बार जो
हो पाए न फिर वो जुदा
मुद्दतों के बाद उतरा
आँख से पर्दा मेरे
ज़िंदगी के ख्वाब टूटे
ख्वाब है अब बस तेरे
मुस्कुराई मौत बोली
चाँद सा चेहरा खिला
खुश नसीबी है मेरी
जो चाहने वाला मिला
मेरी खातिर इतनी चाहत
ज़िंदगी से यूँ गिला
ख़त्म कर अब ज़िंदगी का
जानलेवा सिलसिला
ज़िंदगी झूठी है जितनी
उतनी ही मगरूर है
चल नई दुनिया में जो
हर रंज-ओ -गम से दूर है
- नीतू ठाकुर
वाह हृदय ग्राह्य लेखन ..नीतू जी
जवाब देंहटाएंज़िंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकरायेगी
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जायेगी !
जी सच कहा
हटाएंआप की प्रतिक्रिया कमाल की है
बहुत बहुत आभार
निशब्द!!! पर ऐसा न लिखें दिल दहल जाता है।
जवाब देंहटाएंमै आप की बात समझ गई।
हटाएंपर क्या करूँ मुझे दर्द भरी रचनायें ही लिखना आता है।
मेरी कलम जितनी जल्दी दर्द बयां करती है ख़ुशी नहीं कर पाती,
और ख़ुशी मुझे लिखने को प्रेरित नहीं करती।
आप का बहुत बहुत आभार अक्सर मेरी रचना पढ़कर लोग यही कहते है
पर यह रचना मात्र है। पर आप की प्रतिक्रिया में अपनापन है।
वाह ! लाजवाब प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअज़्म शाकरी का एक शेर- ---
"ऐ मौंत मेरी जान बचा ले आकर
जिंदगी रोज मुझे ज़ेरे-जबर करती है"
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया ।
आप का बहुत बहुत आभार
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-12-2017) को "प्यार नहीं व्यापार" (चर्चा अंक-2813) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत दर्द है आपकी कलम में. प्रेम का वियोग पक्ष बखूबी लिखती हैं आप.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
सादर
बहुत बहुत आभार
हटाएंकोई ख्वाब लिखता है
कोई खयाल लिखता है
मेरा मन तो पागल
दर्दे हाल लिखता है
Bhaut sundar rachana hai
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत खूब!!नीतू जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत खूब लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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