रविवार, 10 दिसंबर 2017

मै तो तेरा अंश हूँ मैया...नीतू ठाकुर


मै तो तेरा अंश हूँ मैया
कर मुझको स्वीकार
मुझे दे जीने का अधिकार

न जाने कब क्या हो जाये
सोच के मेरा मन घबराये
तुझसे मै कुछ कह ना  पाऊँ
पर तुझको कैसे समझाऊँ

मै तो तेरा अंश हूँ मैया.....

भूल हुई क्या मै  ना  जानूं 
मै तो बस तुझको पहचानूं 
तेरी गोद में सोना चाहूँ 
तुझसे लिपटकर रोना चाहूँ 

मै तो तेरा अंश हूँ मैया..... 

चाहे मुझसे प्यार न करना 
चाहे लाड दुलार न करना 
पर दुनिया जब तुझसे बोले 
मौत मेरी स्वीकार न करना 

मै तो तेरा अंश हूँ मैया..... 

 क्यों डरती हो तुम दुनिया से 
मै  किसका क्या ले जाऊँगी 
हाथ बटाऊँगी मै तेरा 
नाम तेरा मै कर जाऊँगी 

मै तो तेरा अंश हूँ मैया..... 

दुनिया बन बैठी है दुश्मन 
लेकिन तुझको लड़ना होगा 
मेरी नन्ही जान की खातिर 
थोड़ा दर्द तो सहना  होगा 

मै तो तेरा अंश हूँ मैया..... 


-नीतू ठाकुर 








10 टिप्‍पणियां:

  1. संवेदना से परिपूर्ण रचना। हृदयस्पर्शी।

    "क्यों डरती हो तुम दुनिया से
    क्या किसका ले जाऊँगी
    हाथ बटाऊँगी मैं तेरा
    नाम तेरा कर जाऊँगी
    मैं तो तेरा अंश हूँ मैया..."

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    1. बहुत बहुत आभार
      आप को अच्छी लगी लेखन सार्थक हुआ

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  2. अंतर की पुकार है ये, हर संवेदनशील नारी यही सोचती है, कुछ ऐसा ही जैसा आपने लिखा है कि कोई जब कन्या भ्रूण को नष्ट करता है तो अंदर वो अजन्मी ऐसे ही करुण आर्त नाद करती है ऐसे ही पीडा चीत्कारती है।

    सार्थक सटीक लेखन।
    शुभ संध्या।

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    1. बहुत बहुत आभार
      जब मै पहली बार माँ बनी थी तब मैंने यह कविता लिखी थी
      भ्रूण हत्या पर एक समाचार सुनकर मेरे अंदर से जो आवाज आई
      वही मैंने इस कविता में लिखा। मै तो मक्खी भी न मार पाऊँ लोग अपनी संतान को कैसे मार देते है।

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  3. नीतू जी हृदय को झकझोरती आपकी हृदयस्पर्शी रचना बेहद मार्मिक है। कन्या भ्रूण हत्या पर आपकी संजीदा लेखनी के भाव अत्यंत प्रभावशाली है। एक रचनाकार का दायित्व आप खूब निभा रही है। बधाई स्वीकार करें।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी सुंदर प्रतिक्रिया।

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  4. बेहद मर्मस्पर्शी ...., शब्दों‎ की कमी सी है प्रंशसा के लिए‎ .हृदय को द्रवित कर देने वाले लेखन के बहुत बहुत‎ बधाई .

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