शुक्रवार, 16 मार्च 2018

उम्मीद मन सम्राट है....नीतू ठाकुर



अंत ही आरंभ है,प्रारंभ करता नवसृजन 
उद्देश्य की पूर्ति करे, उम्मीद का पुनः जन्म 
शाश्वत ये सत्य विराठ है, उम्मीद मन सम्राट है 
आरंभ से पहले है वो , वो अंत के भी बाद है 

सृष्टि का सृजन हुआ जिस पल 
जीवन का कोई अर्थ न था 
क़ुदरत की अद्भुत  रचना का 
उद्देश्य कभी भी व्यर्थ न था 
उम्मीद का सूरज जब निकला 
जीवन को एक आकार मिला 
ईश्वर के रूप में मानव को 
क़ुदरत का एक उपहार मिला 

क़ुदरत की अद्भुत लीला को
इस जग में किसने जाना है 
सच झूठ तर्क हैं एक तरफ 
जीवन को मिला बहाना है 
व्याकुल मन की अभिलाषा है 
ज्ञानी की भी जिज्ञासा है 
अंतर मन से जो उपजी है 
एक अद्भुत मौन की भाषा है 

जिस मन में कोई आस नहीं 
जीवन रस की भी प्यास नहीं 
भूले, भटके, जग के के हारे 
हर मानव मन की आशा है 
माना की एक छलावा है 
एक झूठा भरम, दिखावा है 
पर सत्य से बढ़कर सत्य है वो 
जिसने सृष्टि को बचाया है 

मिटती है बारम्बार मगर 
हर रोज जन्म ये लेती है 
उद्देश्य हीन हर जीवन को 
उद्देश्य नया ये देती है 
उम्मीद का कोई अंत नहीं 
संसार भले ही मिट जाये 
नामुमकिन है की सृष्टि से 
उम्मीद कभी भी हट जाये 

           - नीतू ठाकुर       

24 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब नीतू जी सांगोपांग रचना।
    सराहना की अभिव्यक्ति से परे शानदार बस बेमिसाल ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सखी
      सब आप की सोहबत का असर है
      आप की प्रतिक्रिया और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है

      हटाएं
  2. सच, उम्मीद पर ही दुनिया टिकी है। बहुत अच्छा लिखा आपने ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार
      आप की प्रतिक्रिया देखकर मन प्रसन्नता से भर गया

      हटाएं
  3. वाह!!नीतू जी ...बहुत सुंदर ..उम्मीद का कोई अंत नही .....

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-03-2017) को "नवसम्वतसर, मन में चाह जगाता है" (चर्चा अंक-2913) नव सम्वतसर की हार्दिक शुभकामनाएँ पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन जीने के लिए उम्मीद बहुत ही जरूरी है। बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १९ मार्च २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/03/61.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!!!
    उम्मीद का कोई अन्त नहीं.....
    बेहतरीन.... शानदार.... लाजवाब...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार
      बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया

      हटाएं
  9. उम्मीद का होना ज़रूरी है ...
    ये सांसें भी तभी तक हैं जब तक उम्मीद है ... अंत के बाद सृजन जैसे ...
    सुंदर रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार
      कविता का मर्म बहुत अच्छे से समझझा आपने

      हटाएं
  10. प्रिय नीतू जी,बहुत सुन्दर रचना!!!!
    स्नेह ।

    जवाब देंहटाएं
  11. उद्देश्य हीन जीवन को नया उद्देश्य ये देती है
    उम्मीद मन सम्राट है सच में नीतू जी उम्मीद ही थके -हरे को आगे बड्ने को प्रेरित करती है

    जवाब देंहटाएं

शब्दों के प्रेम समर्पण से... नीतू ठाकुर 'विदुषी'

 मैं बांध सका हूँ कब हिय को, उस मोहपाश आकर्षण से। अभिव्यक्त भाव हो जातें है, शब्दों के प्रेम समर्पण से।। कल्पित से मेरे जीवन मे, प्रतिपल तेर...