शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

मेरा अक्स आज मुझसे ...... नीतू ठाकुर


मेरा अक्स आज मुझसे , नजरें चुरा रहा है 
कल तक जो जान था वो , अब दूर जा रहा है 

किस बात से खफा है , जो आज यूँ जुदा है 
आँखों को ख्वाब देकर , खुद ही मिटा रहा है 

माना ये दिल नही था , तेरी आरजू में शामिल 
दिले बेरुखी से अपनी , उसे क्यों जला रहा है 

नादान है वो कितना , जिसको खबर नही है 
यादों से ही हूँ जिन्दा , जिन्हें वो भुला रहा है 

बरसों जिसे तलाशा , वही इंतज़ार है वो 
मेरे दिल को यूँ रुला के , जो मुस्कुरा रहा है 

तुम पर यकीन करना , शायद खता थी मेरी 
दिल फिर भी कह रहा है , वो कुछ छुपा रहा है 

ग़मे ज़िंदगी हमारी , जिसे छोड़ आये तन्हा 
वीरान दिल का साया , हमें फिर बुला रहा है 

मेरी साँस थम रही है , ये वजूद मिट रहा है 
मुझे फिर भी लग रहा है , वो गले लगा रहा है  

 - नीतू ठाकुर 


17 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-02-2019) को "हिंदी की ब्लॉग गली" (चर्चा अंक-3235) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. लाजवाब सखी बहुत उम्दा बेहतरीन रचना।

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  3. वाह !!सखी बहुत सुन्दर लाज़बाब
    सादर

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  4. सौंदर लेखन आदरणीया नीतू जी। शुभकामनाएं ।

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  5. बहुत ही सुन्दर..... बहुत लाजवाब...
    लयबद्ध ,सुन्दर शब्दविन्यास से सजी बेहतरीन प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/107.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  7. बहुत खूब..... , लाजबाब..... सादर स्नेह

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  8. बहुत खूब ...
    हर शेर लाजवाब है ... अलग अंदाज़ है ... कई बार इंसान को खुद से पीछा छुड़ाना ही मुश्किल हो जाता है ...

    जवाब देंहटाएं

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