मै दर्द की एक परछाई हूँ
अश्कों से निकल कर आई हूँ
मै भी तन्हा हूँ तेरी तरह
इस दुनिया की ठुकराई हूँ
इस दिल में छुपी उदासी हूँ
मै भी चाहत की प्यासी हूँ
अनचाहा सा एहसास हूँ मै
फिर भी हर दिल के पास हूँ मै
हर गम की साझेदार हूँ मै
अपने दिल से बेजार हूँ मै
मै भी कुदरत की तराशी हूँ
जाने क्यों आज रुआंसी हूँ
मै तेरे दिल की दासी हूँ
माना की जरा जुदा सी हूँ
आती हूँ एक बुलावे पर
पर खुद कितनी तन्हा सी हूँ
दो तन्हा दिल मिल जाएँ तो
शायद हालात बदल जाये
ये आलम बड़ा उदास सा है
दो तन्हा दिल बहल जाएँ
कुछ गम तेरे मै बाटूंगी
कुछ हाल हमारा सुन लेना
हर शर्त तेरी मंजूर मुझे
जो मर्जी हो वो चुन लेना
- नीतू ठाकुर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं ..
बहुत बहुत आभार आप का
हटाएंआप को भी होली की ढेर सारी शुभकामनाएं
वाह!!बहुत सुंदर नीतू जी .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-03-2017) को "जला देना इस बार..." (चर्चा अंक-2897) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत उम्दा।
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द उदासी।
रुह तक ज्यों प्यासी।
बहुत सुंदर ....बहुत बहुत आभार
हटाएंकोंपल हो तुम तो अभी फिर
हटाएंक्यु उदासी छायी है
परिवार भी तो है तेरा
क्यो खुशी नही छायी है
अभी तो छूना है आकाश तुझे
बहुत ही दूर ऊँचाई है
अभी अभी तो आई हो
फिर क्यो उदासी छायी है
बहुत हृद्त्सप्र्शी रचना प्री नीतू जी -- जब दो उदास मन एकाकार हो जातें हैं तभी बात बनती है | सस्नेह आभार इस भावपूर्ण सृजन के लिए |
जवाब देंहटाएंसुंन्दर रचना। दर्द का सागर जैसे हिलोरें ले रहा हो । लाज़वाब
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार
हटाएंसच है उदासी बाँटलेने से कम हो जाती है ...
जवाब देंहटाएंताम्बा दिल मिल के आशियाना ढूँढ लेते हैं ... बहुत भावपूर्ण रचना है ...
बहुत बहुत आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ५ मार्च २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
दर्द की परछाई.... बहुत ही सुन्दर.... बहुत लाजवाब...
जवाब देंहटाएंहर गम की साझेदार हूँ मैं...वाहवाह...
लाजवाब सृजन ....
बहुत बहुत आभार..सुंदर प्रतिक्रिया
हटाएंउदासी और अंतस के अकेलेपन को समेटे सुन्दर संवाद है ...
जवाब देंहटाएंदर्द अगर बाँट सके कोई तो आधा हो जाता है दोनों का ... जीना आसान हो जाता है ...
बहुत सुंदर प्रतिक्रिया..... धन्यवाद
हटाएंहृदयस्पर्शी बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंअंतस को छूती!!!
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