रेशमी जुल्फ में बिखरे सुनहरे ओस के मोती
हमें बेचैन ना करते अगर चाहत नही होती
तेरी खामोश नजरों ने बहुत कुछ कह दिया हमसे
तुम्हारी मुस्कुराहट ने निकाला है हमें गम से
तेरा ख़्वाबों में ख्यालों में बसर देखा है
जब से नजरों नें तुझे एक नजर देखा है
कोई तो बात है तुझमें कोई दानाई है
तेरी चाहत का जो यूँ खुद पर असर देखा है
न जाने क्यों तेरी हर बात पर हमको यकीं आये
मेरी वीरान दुनिया में वो बनकर रौशनी आये
बहुत गम सह चुके हैं हम बहुत आँसू बहाये हैं
मगर फिर भी ये दिल कहता न तुम बिन अब ख़ुशी आये
तुम्हीं से हर ख़ुशी मेरी तुम्हीं से हैं हमारे गम
मेरी हर एक दुआ तुम पर निछावर है मेरे हमदम
मेरी उलझन को सुलझाए मुझे वो बंदगी आये
जहाँ तुम साथ ना हो अब न ऐसी ज़िंदगी आये
- नीतू ठाकुर
वाह बहुत खूबसूरत रचना सखी
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना नीतू जी दिल को छू गई
जवाब देंहटाएंवाह !!नीतू जी ,बहुत खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंवाह!!!लाजवाब सखी
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस को नजाकत से पिरोती रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.... लाजवाब...
बहुत खूबसूरत रचना, नीतु दी।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-10-2018) को "कृपा करो अब मात" (चर्चा अंक-3125) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १४ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह सखी बदलते रंग में भी रंग जमाती आपकी रचना आपके लेखन से कुछ अलग पर जबरदस्त।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
उलझन सुलझे आपकी और बंदगी आये
हरदम साथ हो हमदम का रास आपको जिंदगी आऐ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/10/91.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना, हृदय से आभार आपका
जवाब देंहटाएंतेरे ख्वाबों में ख्यालों में....
जवाब देंहटाएंमेरी उलझन को सुलझाये...
वाह लाजवाब भावपूर्ण.
हद पार इश्क
वाह!!प्रिय नीतू जी ,बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंअनुराग से सराबोर मन की मनभावन रचना प्रिय नीतू जी | अंतिम दो शेर तो सम्पूर्ण समर्पण की गवाही दे रहे हैं | सस्नेह बधाई |
जवाब देंहटाएंप्रेम समर्पण ... जिसके होने से बहुत कुछ स्वतः ही हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंइस तंग से सरोबारे हैंपूरी रचना ... बहुत कुछ बिन बोले ही कहने का प्रयासों है ये रचना ...
भावपूर्ण ...