शनिवार, 14 मार्च 2020

आज भी माँ क़ब्र से लोरी सुनाती है मुझे - नीतू ठाकुर 'विदुषी'

ग़ज़ल  
नीतू ठाकुर 'विदुषी'

2122 2122 2122 212

याद जिसकी आज भी रातों जगाती है मुझे
वो मेरी माँ की महक कितना रुलाती है मुझे

सो रही है प्यार से मिट्टी की चादर ओढ़कर 
आज भी माँ क़ब्र से लोरी सुनाती है मुझे 

दूर अंबर में  बसेरा है मेरे माँ का मगर 
आज भी वो दिल के कोने में बसाती है मुझे

भूख से बेज़ार होकर जब पुकारा है उसे
भीगी पलकों से निहारे थपथपाती है मुझे 

जब कभी तन्हा हुआ ये दिल ज़माने से खफा 
बन के झोका याद का वो गुदगुदाती है मुझे

जब कभी घायल हुआ हूँ दर्द से चीखा हूँ मै
चूम कर माथे को मरहम वो लगाती है मुझे

जब कभी मायूस करती हैं मुझे नाक़ामियाँ 
ख्वाब में आकर वही धाडस बँधाती है मुझे 

जब कभी आतें हैं तूफाँ घेरने दिल को मेरे 
लड़ती तूफानों से आँचल में छुपाती है मुझे 

बन के परछाई वो हर पल साथ चलती है मेरे 
ख्वाब में विदुषी वो माँ लोरी सुनाती है मुझे 

                     - नीतू ठाकुर 'विदुषी'

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी सशक्त लेखनी ग़ज़ल भी लिखती हैं 👌👌👌 वो कौनसी विधा है जो आपकी लेखनी नहीं लिख सकती, बधाई 💐💐💐 निरन्तर आगे बढ़ते रहें 💐💐💐 बहुत सुंदर लिखा है

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय सब आपके मार्गदर्शन के कारण संभव हो रहा है। स्नेहाशीष बनाये रखिये 🙏🙏🙏

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  2. बढ़िया ग़ज़ल।
    कभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।

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    1. आभार आदरणीय 🙏🙏🙏
      अवश्य प्रयास करेंगे 🙏🙏🙏

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  3. वाह!!!!
    बहुत ही भावपूर्ण लाजवाब गजल।

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17 -3-2020 ) को मन,मानव और मानवता (चर्चा अंक 3643) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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    1. आभार आदरणीया मेरी रचना को अपने प्रतिष्टित मंच पर स्थान देने के लिए 🙏🙏🙏

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  6. जीवन भर का सम्बल होती है माँ, उसकी छत्रछाया हमेशा रहती है साथ

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  7. वाह!नीतू जी ,बहुत उम्दा 👌👌

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