गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

इंग्लिश मौसी....नीतू ठाकुर

हे परमपूज्य इंग्लिश मौसी 
तुम विश्वमान्य, जगकल्याणी 
तेरे चरणों का दास बना 
इस युग का हर मानव प्राणी 
तुम बनी ज्ञान की परिभाषा 
हर अज्ञानी की अभिलाषा 
फिर क्यों तेरी कृपा से वंचित 
 रहा दास अब तक प्यासा 
मै कितना भी रट्टा मारूं 
तुम होती मुझको याद नही
हे श्रेष्ठ जनों की मम देवी 
क्यों सुनती तुम फरियाद नही 
कर जोड़ करूँ तुमसे विनती 
करना मुझ को बर्बाद नही
बिन तेरी छाया के मौसी 
होता कोई आबाद नही 
सच्ची निष्ठा मेरी तुझ पर 
मन से तुझको अपनाऊंगा 
अगर साध्य तुम्हें कर पाया तो 
यह जीवन सफल बनाऊंगा 

        - नीतू ठाकुर 



4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-12-2017) को "सत्य को कुबूल करो" (चर्चा अंक-2825) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. माँ और मौसी ... हिंदी और अंग्रेजी शायद दोनों जरूरत हो गयी हैं आज की ...
    पर फिर भी मात्री भाषा का मान ज्यादा ही रहेगा ... माँ जो है ...

    जवाब देंहटाएं

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