वो आखरी खत जो तुमने लिखा था
तेरे हर खत से कितना जुदा था
मजबूरियों का वास्ता देकर मुकर जाना तेरा
गुनहगार वो वक़्त था या खुदा था
बड़ी मुश्किल से संभाला था खुद को
वो पल भी मुश्किल बड़ा था
शिकायत करते तो किस से करते
जब अपना मुकद्दर ही जुदा था
जल रहे थे ख्वाब मिट रहे थे अरमान
तू लाचार और मेरा प्यार बेबस खड़ा था
मेरा दिल ही जनता है क्या गुजरी थी
जब आंसुओं में डूबा वो आखरी खत पढ़ा था
- नीतू ठाकुर
Neetu jiदिल के जज़्बातों को दर्शाती मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंNeetu jiदिल के जज़्बातों को दर्शाती मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंअत्यंत मार्मिक रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंवाह ! क्या बात है ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।
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