शनिवार, 23 दिसंबर 2017

वो आखरी खत जो तुमने लिखा था......नीतू ठाकुर


वो आखरी खत जो तुमने लिखा था 
तेरे हर खत से कितना जुदा था 

मजबूरियों का वास्ता देकर मुकर जाना तेरा 
गुनहगार वो वक़्त था या खुदा था 

बड़ी मुश्किल से संभाला था खुद को 
वो पल भी मुश्किल बड़ा था 

शिकायत करते तो किस से करते 
जब अपना मुकद्दर ही जुदा था 

जल रहे थे ख्वाब मिट रहे थे अरमान 
तू लाचार और मेरा प्यार बेबस खड़ा था 

मेरा दिल ही जनता है क्या गुजरी थी 
जब आंसुओं में डूबा वो आखरी खत पढ़ा था 

               - नीतू ठाकुर 

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