शनिवार, 28 अप्रैल 2018

छोटा सा अस्तित्व हमारा ....नीतू ठाकुर


इस दुनिया के नक्शे पर 
एक छोटा सा अस्तित्व हमारा 
झूठे भ्रम में जिंदा है जो 
करता रहता मेरा तुम्हारा 

बिना वजह ही लड़ते रहते 
भूल के मानव धर्म हमारा 
ढूंढ रहा है खुद ही खुद को 
जाने क्यों व्यक्तित्व हमारा 

सत्य,अहिंसा का पथ छोड़ा 
भटक रहा है स्वार्थ हमारा 
जन्मे थे हम किस कारण से ?
पूछ रहा दायित्व हमारा 

चमक धमक में अंधी दुनिया 
ज्ञान का सागर लगता खारा 
दो दो पैसे में बिकता है 
अजर अमर साहित्य हमारा 

जब अपने ही बच्चे अपनी 
संस्कृति का अपमान करें 
जन्म दाता माता पिता को  
तानों से बेजान करें 

क्या थे तुम क्या बन बैठे हो 
अपने अहम में तन बैठे हो 
लगते हैं सब तुच्छ तुम्हें क्यों ?
पूछ रहा भगवान हमारा

    - नीतू ठाकुर

(चित्र साभार -गूगल )

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी।
      आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही उत्साह बढाती है, और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है।

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  2. वाह.. बहुत खूब लिखा नीतू जी. 👌👌👌

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  3. वाह!उत्तरदायित्व बोध का अलख जगाती बहुत सुन्दर कविता!!! समसामयिक विसंगतियों को व्यंग्य बाण से बेधते हुए!!!! बधाई!!!

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    1. आप की प्रतिक्रिया देखकर बहुत ख़ुशी हुई। ह्रदय से आभार विश्वमोहन जी मेरी रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए। अपना आशिर्वाद बनाये रखें।

      हटाएं
  4. क्या थे तचम क्या बन बैठे हो
    अपने अहम में तन बैठे हो....
    बेहतरीन ,लाजवाब ...
    वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी ह्रदय से । सुन्दर प्रतिक्रिया।

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  5. अंतर अवलोकन और, पथ भ्रमित होता समाज चूकते संस्कार गुम होती मान्यताएं गिरते नैतिक मूल्य सभी को एक छोटी रचना मे सुंदरता से सहेजा आपने बहुत बहुत बधाई, बहुत सुंदर रचना सार्थक और सत्य।

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    उत्तर
    1. प्रिय सखी कुसुम जी ह्रदय से आभार।
      क्या खूब समझा आपने मेरे मन का हर शब्द पढ़ लिया आप ने।
      आप ने सराहा लेखन सार्थक हुआ।
      शानदार प्रतिक्रिया हमेशा की तरह हौसला बढ़ा गई।

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  6. बहुत खूब लिखा नीतू जी ...लाजवाब !!छोटा सा अस्तित्व हमारा ...वाह!!

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी।
      आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।

      हटाएं
  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-04-2017) को "अस्तित्व हमारा" (चर्चा अंक-2956) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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    उत्तर
    1. आदरणीया राधा जी मेरी रचना को मान देने हेतु बहुत बहुत आभार।
      आशिर्वाद बनाये रखें।

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  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 30 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. आदरणीया यशोदा दी मेरी रचना को मान देने हेतु बहुत बहुत आभार।

      हटाएं
  9. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पेन्सिल में समाहित सकारात्मक सोच : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  10. प्रेरणादायी रचना। गिरते नैतिक मूल्यों पर सोचने को विवश करती हुई। सुंदर।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार
      बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया दी आप ने रचना के मर्म को समझा ।

      हटाएं

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