गर्म बिस्तर में सुनहरे ख्वाब बुनता है जहाँ
सरहदों पर जान की बाजी लगाते नौजवान
जागते है रात भर की जान बचनी चाहिए
दुश्मनों से धरती माँ की आन बचनी चाहिए
बेरहम मौसम हुआ तो चल पड़ी कातिल हवाएँ
बर्फ की चादर लपेटे ज़िंदगी से खेलने
चुभ रहे थे बर्फ के नश्तर सभी के जिस्म में
अब तलक बाकी है जाने कितने मौसम झेलने
एक अलाव रात भर जलता रहा इस आस में
ज़िंदगी के पास एक उम्मीद होनी चाहिए
जम रहा था खून का हर एक कतरा जिस्म में
बेजान होते जिस्म में कुछ साँस होनी चाहिए
बर्फ के गोलों से मिटती भूख मिटती प्यास को
जान बाकी है यही एहसास होना चाहिए
जान दुनिया पर लुटाने की जरूरत तो नहीं
उनके जैसा एक जज्बा पास होना चाहिए
- नीतू ठाकुर
वाह्ह्ह.....बेहद उम्दा...लाज़वाब प्रिय नीतू👌👌👌.
जवाब देंहटाएंदेश के नौजवानों को समर्पित आपकी रचना बहुत पसंद आयी। बधाई इतनी सुंदर कृति के लिए।
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंये रचना 'अलाव" की उपज है
ये शब्द नया था मेरे लिए
पर एक रचना दे गया
वाह अप्रतिम काव्य ..उबलते जज्बात
जवाब देंहटाएंजय जवान 🇮🇳
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंआप का पोस्ट पर आना ही किसी पुरस्कार से कम नहीं
वाह अप्रतिम काव्य ..उबलते जज्बात
जवाब देंहटाएंजय जवान 🇮🇳
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंअप्रतिम. अद्भुत नीतू जी कमाल रचना आपकी सरहदों के रखवालों को आपने सुंदर सलामी देदी है।
जवाब देंहटाएंठिठुरती धरा पर रातों जागते जमते प्रहरियों को श्रृदा भावना से सुसज्जित किया आपने।
ओ मेरे देश के सैनिकों
तुम जगते हो इस
बर्फीले मौसम मे भी
तभी देश सोता है
ओढ कर लिहाफ।।
नीतू जी आपकी सुंदर रचना को नमन।
शुभ संध्या।
वाह!!नीतू,अलाव ....शब्द से उत्कृष्ट रचना का सृजन !!!
जवाब देंहटाएंदेश के वीर जवानों को शत् शत् नमन।
बहुत बढिया
हटाएंबहुत खूब वाहःह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंअपने वीर सैनिकों के प्रति स्नेह और सनुभूति से पूर्ण प्रेरक पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंआदरणीया / आदरणीय रचनाकार
जवाब देंहटाएंआपके सृजनशील सहयोग ने हमें आल्हादित किया है। इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाने के लिए आपका तहे दिल से आभार।
हमें पिछले गुरूवार (11 जनवरी 2018 ) को दिए गए बिषय "अलाव" पर आपकी ओर से अपेक्षित सहयोग एवं समर्थन मिला है।
आपकी रचना हमें प्राप्त हो चुकी है जोकि संपादक-मंडल को भेज दी गयी है। कृपया हमारा सोमवारीय अंक (15 जनवरी 2018 ) अवश्य देखें। आपकी रचना इस अंक में (चुने जाने पर ) प्रकाशित की जाएगी।
हम आशावान हैं कि आपका सहयोग भविष्य में भी ज़ारी रहेगा।
सधन्यवाद।
टीम पाँच लिंकों का आनंद
वाह, ओज और मर्म का कुशल सम्मिश्रण। शानदार कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएं"अलाव" बिषय आधारित रचनाओं का प्रकाशन सोमवार 15 जनवरी 2018 को किया जा रहा है जिसमें आपकी रचना भी सम्मिलित है . आपकी सक्रिय भागीदारी के लिये हम शुक्रगुज़ार हैं. साथ बनाये रखिये.
जवाब देंहटाएंकृपया चर्चा हेतु ब्लॉग "पाँच लिंकों का आनन्द" ( http://halchalwith5links.blogspot.in) अवश्य पर आइयेगा. आप सादर आमंत्रित हैं. सधन्यवाद.
बहुत बहुत आभार
हटाएंवाह..!
जवाब देंहटाएंएक अलाव ये भी, बहुत ही प्रभावशाली तरीके से अलाव की व्याख्या कर डाली आपने,उन जवानों को सलाम जो माइनस डिग्री में भी सरहद की तैनाती पर खड़े मिलते हैं... खुद के अंदर देशभक्ति की अलाव जलाए,.. बधाई नीतु जी आपको ।
नीतू ठाकुर ने हमारे सीमा-प्रहरियों के लिए हमारे दिली-जज़्बात को ज़ुबान दी है. इसके लिए वो बधाई की पात्र हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंंदर शब्द सृजन..
जवाब देंहटाएंजय जवान
उम्मीद बाक़ी रहना ज़रूरी है ...
जवाब देंहटाएंमौसम जैसा हो सैनिक भी यही कहता है जो हमारे लिए जागता है ...
बहुत कुछ कहती रचना ...
बहुत बहुत आभार आदरणीय आशीर्वाद बनाये रखें।
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