सोमवार, 15 जनवरी 2018

इजहार....नीतू ठाकुर


हाथ में हथकड़ी पाओं में बेड़ियाँ 
मै मोहब्बत में तेरे गिरफ़्तार हूँ

जिसको बरसों तलाशा है दिल ने तेरे 
सामने तेरे हमदम वही प्यार हूँ 

जीत कर दिल मेरा मुस्कुराये थे तुम 
जो बचा न सकी दिल वही हार हूँ 

जिसकी खातिर यूँ बेचैन अब तक रहे 
पहली चाहत का पहला मै इजहार हूँ

छोड़ कर दो जहाँ तोड़ कर बंदिशे
जो बसाने चले हो वो संसार हूँ

जिसको माँगा था तुमने दुआओं में वो 
मै हकीकत हूँ तेरी तलबगार हूँ 
                 - नीतू ठाकुर 


5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बहुत खूब। बिल्कुल दिल से।

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  2. किसी की
    मुहब्बत में ख़ुद को गिरफ़्तार कर देना ही जीवन है ...
    अच्छे पलों को लिखना ही मुहब्बत है ...

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार
      मन को भा गयी आप की प्रतिक्रिया

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