हाथ में हथकड़ी पाओं में बेड़ियाँ
मै मोहब्बत में तेरे गिरफ़्तार हूँ
जिसको बरसों तलाशा है दिल ने तेरे
सामने तेरे हमदम वही प्यार हूँ
जीत कर दिल मेरा मुस्कुराये थे तुम
जो बचा न सकी दिल वही हार हूँ
जिसकी खातिर यूँ बेचैन अब तक रहे
पहली चाहत का पहला मै इजहार हूँ
छोड़ कर दो जहाँ तोड़ कर बंदिशे
जो बसाने चले हो वो संसार हूँ
छोड़ कर दो जहाँ तोड़ कर बंदिशे
जो बसाने चले हो वो संसार हूँ
जिसको माँगा था तुमने दुआओं में वो
मै हकीकत हूँ तेरी तलबगार हूँ
- नीतू ठाकुर
बहुत सुंदर गजल....
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब। बिल्कुल दिल से।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंसुंदर प्रतिक्रिया
किसी की
जवाब देंहटाएंमुहब्बत में ख़ुद को गिरफ़्तार कर देना ही जीवन है ...
अच्छे पलों को लिखना ही मुहब्बत है ...
बहुत बहुत आभार
हटाएंमन को भा गयी आप की प्रतिक्रिया