शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

"तितली" नन्हे गुलशन की रानी..... नीतू ठाकुर



जल बिन सूख रहा था गुलशन 
तितली पल पल नीर बहाये 
जैसे गुलों में प्राण बसे हों 
ऐसे उनसे लिपटी जाये 
देख रही हर पल अंबर को 
शायद जलधारा दिख जाये 
पर नन्हे गुलशन की रानी 
जाकर विपदा किसे सुनए 
सूख गए आँखों के आंसू 
उडी गगन में पर फैलाये 
आज लड़ूंगी बदल से मै 
काहे इतनी देर लगाए ?
सूख रहा है मेरा गुलशन 
क्या तुमको वो नजर न आये ?
एक हवा का झोका आया 
तितली को संग चला उड़ाये 
संभल न पायी नन्ही तितली 
टूटे पंख बिखरते जायें 
गरज गरज कर बादल बरसे 
तितली के भी पंख भिगाये 
पड़ी धरा पर देखे तितली 
गुलों की तृष्णा मिटती जाये 
महक उठी फिर प्यासी धरती 
सोंधी खुशबू मन में समाये 
छोड़ चली दुनिया को तितली 
लेकिन गुलशन लियो बचाये 
            - नीतू ठाकुर 


16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!बहुत सुंंदर रचना नीतू जी।

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    1. बहुत बहुत आभार
      आप की प्रतिक्रिया भी बहुत सुंदर है

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  2. बेहतरीन रचना, तितली का परमार्थ जान देना भावुक कर गया।

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  3. छोटी तितली बडा जज्बां।
    वाह शानदार!! अपने चमन के लिये हुई कुर्बान।
    शुभ दिवस

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    1. बहुत बहुत आभार सखी
      सुंदर प्रतिक्रिया

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-01-2018) को "नवपल्लव परिधान" (चर्चा अंक-2863) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  5. आपकी लिखी रचना सोमवारीय विषय विशेषांक "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 29 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बहुत कोमल भाव लिए बेहद सुंदर रचना प्रिय नीतू....आपकी कल्पनाशीलता ने तितली के पंखों पर उड़ान भरे और भावुक करती लयबद्ध रचना कर दी।👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार
      आप की सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।

      हटाएं
  7. नहीं तितली की अप्रितम बलिदान कथा - सुंदर सृजन -- बधाई नीतू जी --

    जवाब देंहटाएं

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