रविवार, 15 अप्रैल 2018

अपने रक्षण हेतु लो हाथों में तलवार....नीतू ठाकुर


हे मृगनयनी , गजगामिनी, त्याग के तुम श्रृंगार  
अपने रक्षण हेतु लो हाथों में तलवार

ना जाने किस वेश में दुश्मन कर दे घात 
जैसे माता जानकी फसी दशानन हाथ  
मत सोचो रक्षण हेतु श्री रामचंद्र जी आएंगे 
अग्निपरीक्षा लेकर भी तुमको वनवास पठायेंगे

अपनी इज्जत की खातिर , धरले काली अवतार 
चाहे अगणित रक्तबीज हों कर उनका संहार 
जिस दिन नारी की रक्षणकर्ता नारी बन जाएगी 
भरी सभा में कोई द्रौपदी दांव नही लग पायेगी 

शोभा की वस्तु बनकर तू जीवन अर्थ विहीन न कर, 
शक्ति स्वरूपा माँ काली बन खुद को इतना दीन न कर 
यूँ त्याग तपस्या की मूरत बन कैसे आन बचाओगी 
जब अपनी वधू, सुता, भगिनी बाजार में बिकती पाओगी 

अपने बच्चों की खातिर ये कैसा जहाँ बसाओगी 
चुडी, बिंदिया, पायल में कब तक तुम बंधती जाओगी 
बंधन मुक्त करो खुद को तुम बनो स्वयम आधार 
जिस दिन लड़ना सीख गई दुनिया मानेगी हार  

एक दिन नारी पायेगी  इस जग में अधिकार 
त्रुटिओं को करना क्षमा करके ह्रदय उदार 

                               - नीतू ठाकुर
आधुनिकता के दौर में नैतिक मूल्यों का नाश हो रहा है। मानवता को शर्मसार कर दे ऐसी घटनायें दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं। नारी को उपभोग की वस्तू समझने वालों को उचित दंड मिलना अनिवार्य है। एक मनुष्य होने के नाते हमारा परम कर्तव्य है की हम अपनी आवाज बुलंद करें ताकि फिर कोई कुकर्मी ऐसा जघन्य अपराध करने से पूर्व सौ बार सोचे। अपने रक्षण हेतु नारी को खुद सशक्त होना पड़ेगा। भक्षणकर्ता  से रक्षण की उम्मीद बेकार है। शक्तिशाली बनें अगर बली नही चढ़ना चाहती।    
  





  

24 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा आदरणीया
    वर्तमान समय को देखते हुए शस्त्र उठाना आवश्यक हो गया है
    बेहतरीन रचना

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  2. बहुत ही सुंदर, वर्तमान परिवेश के अनुकूल रचना

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  3. नीतू जी सच कहूं तो समाज मे आज ऐसी रचनाओं की बहुत जरूरत है श्रृंगार,सौंदर्य नजातक सब काव्य तक ठीक लगते हैं सच कहा आपने स्वयं की रक्षा के लिये कब तक किसी के सहारे की आस मे बैठी अपना स्वाभिमान खोती रहेगी आज खुद काली दुर्गा बन शोणित बीजों का सर्वनाश करना होगा।
    अद्वितीय भाव आग उगलती आज की जरूरत है आपकी ये रचना सतत साधुवाद।

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  4. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  5. एक आह्वान है आपकी रचना ...
    नारी ही क्यों हर मजलूम को उठना होगा ... तलवार लेनी होगी अपनी हाथ में और खुद शक्तिवान बनना होगा ...
    बहुत ही लाजवाब और कमाल की रचना है ...

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  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/04/65_16.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-04-2017) को ""चुनाव हरेक के बस की बात नहीं" (चर्चा अंक-2943) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. वाह्ह...वैचारिक ओज से परिपूर्ण सुंदर सारगर्भित रचना प्रिय नीतू। समसामयिक संदर्भों में आवश्यकता है ऐसी रचनाओं की।

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  9. वाह. निशब्द हूँ. बहुत ही ओजपूर्ण कविता है. आज ऐसी ही कविताओं की आवश्यकता है नीतू जी.

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    1. सुन्दर प्रतिक्रिया बहुत बहुत धन्यवाद

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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