माहिया टप्पे
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
तू छत पे कल आना
गन्ना चूसेंगे
बेशक जल्दी जाना
गन्ने जब टूटेंगे
तूने बहकाया
घरवाले कूटेंगे
सावन में गायेगी
कोयल काली तो
मेढ़क को पाएगी
काली कोयल गाए
डाली पर बैठी
जो तेरे मन भाये
महकेगी बगिया जब
रजनीगंधा सी
आऊंगी मिलने तब
देखें नैना दिन भर
सपने रातों में
आजा गोरी तू घर
झर झर नैना बरसे
बिछड़े हम तुमसे
मिलने को मन तरसे
बरखा में भीगेगी
चल हट अब गौरी
जाकर घर छींकेंगी
तू बर्गर खा लेना
मैं लूंगी पिज्जा
तू पैसे दे देना
रातों में जागेंगे
झिंगुर जैसे हम
घर से क्यों भागेंगे
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंलोक छंद माहिया का सुदर सृजन
सुंदर टप्पे 👌👌👌
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार शुक्रवार 24 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नीतू जी मन मोहक टप्पे।
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