नवगीत
तंग होली
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
मापनी ~16,14
आँखों में चुभते से दिखते,
होली के क्यों रंग सभी।
नेत्र बहाते सूखे आँसू,
धड़कन करती तंग सभी।
1
श्वेत वस्त्र में लिपटे तन को,
अब रंगों की चाह नही।
पहुँच सके वो अपने प्रिय तक,
दिखती कोई राह नही।
जला चुका जब मन आशाएं,
जली चिता के ढंग सभी।
आँखों में चुभते से दिखते,
होली के क्यों रंग सभी।
2
व्याकुल से विक्षिप्त ह्रुदय ने,
सावन को जलते देखा।
जाने कितनी शंकाओं को,
आँखों ने पलते देखा।
कहने भर को जीवित है पर,
जीवन है बेरंग सभी।
आँखों में चुभते से दिखते,
होली के क्यों रंग सभी।
3
शून्य हो गया जीवन सारा,
ख़ुशियों से नाता टूटा।
चीख उठी तब मौन वेदना,
जीवन जग से है रूठा।
शेष नहीं है अब अभिलाषा,
जलती इच्छा संग सभी।
आँखों में चुभते से दिखते,
होली के क्यों रंग सभी।
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
होली के अवसर पर सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय 🙏🙏🙏
हटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
08/03/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय 🙏🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌👌 अदभुद सृजन 👍👍👍 बधाई एवं शुभकामनाएं, लेखनी में निरंतरता देख कर अच्छा लगता है पुनः बधाई 💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का परिणाम है। स्नेहाशीष बनाये रखिये 🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही लाजवाब हृदयस्पर्शी सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आभार सुधा जी 🙏🙏🙏
हटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय 🙏🙏🙏
हटाएंवाह हहहहह! सुंदर सृजन!👌
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय 🙏🙏🙏
हटाएंसिली सिली सी लेखनी क्या क्या सब लिख जाती
जवाब देंहटाएंसखी लेखनी तेरी अक्सर मुझको बड़ा रुलाती .....
लाजवाब लेखन सखी नीतू जी वाह
शुक्रिया इन्दिरा जी 🙏🙏🙏
हटाएंवाह बेहतरीन रचना सखी 👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी 🙏🙏🙏
हटाएंव्याकुल से विक्षिप्त ह्रुदय ने,
जवाब देंहटाएंसावन को जलते देखा।
जाने कितनी शंकाओं को,
आँखों ने पलते देखा।
बेहतरीन और लाजवाब सृजन दीदी जी
शुक्रिया चमेली जी 🙏🙏🙏
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10 -3-2020 ) को " होली बहुत उदास " (चर्चाअंक -3636 ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा