सोमवार, 12 मार्च 2018

आखरी वो सिसकियाँ.....नीतू ठाकुर



रेशमी चादर में लिपटी 
आखरी वो सिसकियाँ 
सूखते अश्कों से जाने 
कितना कुछ कहती रही 
एक कोना ना मिला 
छुपने को उसको मौत से 
आज परछाई से भी 
डरती रही छुपती रही 
याद करती परिजनों को 
वेदना से भर रही 
बीते लम्हों की चिता 
जलती रही बुझती रही 
जिंदगी के पृष्ठ पलटे जा रहा 
व्याकुल ये मन 
आखरी लम्हों में सारी 
जिंदगी भरती रही 
यादों के झोके उसे छूकर गए 
कुछ इस कदर 
भूल कर सारी व्यथा 
हसती रही रोती रही 
दर्द की है इंतहा 
ये आखरी तन्हा सफर 
जिंदगी की डोर जिसमें 
हर घडी कटती रही   
छोड़ कर जाना है सबको 
कैसे हो मंजूर उसको 
आखरी सांसों तलक 
वो मौत से लड़ती रही 
      
      - नीतू ठाकुर   




16 टिप्‍पणियां:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 13/03/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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    उत्तर
    1. आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार

      हटाएं
  2. उफ पढ़ कर सिहरन सी हो गई इतनी गहरी और इतनी हृदय को छूती अभिव्यक्ति जैसे भविष्य दिख गया स्पष्ट नीतू जी ऐसी रचनाऐं सच शब्द नही मिलते किस श्रेणी मे रखूं पर शाश्वता सत्य का मौन उद्घघोष

    जवाब देंहटाएं
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    1. शब्द नहीं हैं मेरे पास जो आभार व्यक्त कर सके।
      लिखने के बाद आप की प्रतिक्रिया ही उसकी गहराई को समझाती है।
      आप की प्रतिक्रिया के बाद ही रचना का सौंदर्य निखरता है। आभार आप के हर शब्द के लिए !!!

      हटाएं
  3. बहुत ही हृदयस्पर्शी....बहुत ही लाजवाब.....
    आखिरी सांसो तलक
    वो मौत से लडती रही....
    कटु सत्य का ऐसा शब्द चित्रण !!!!!

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सखी
      सुंदर प्रतिक्रिया धन्यवाद

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  4. समय के लड़ना मौत से लड़ना पर मौत एक ऐसा सत्य है जो आता है ...
    फिर भी लड़ना जरूरी है ... जीवन जो है ...
    गहरी रचना ... उद्वेलित करती ...

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  5. एक कोना न मिला छिपने का उसको मौत से.
    शाश्वत सत्य. कौन छिप सका है मौत से.
    बहुत खूबसूरत रचना.

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन आकाश को छूती पहली भारतीय महिला को नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  7. प्रिय नीतू जी,आपकी यह रचना मर्म को स्पर्श कर गई । पीड़ादायक ..... पर शाश्वत सत्य है मृत्यु । मार्मिक शब्द चित्र ।

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    1. बहुत बहुत आभार
      आप की प्रतिक्रिया और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है

      हटाएं

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