गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

इस डायरी में मेरे हजारों ख्वाब है.... -नीतू ठाकुर

दिल के हर एहसास को 
पन्नों पर उतारा है 
शब्दोँ के मोती से 
उसको संवारा है 
इस डायरी में मेरे 
हजारों ख्वाब है
दिल में उठे हजारों 
सवालों के जवाब है 
कहीं गम के बादल हैं 
कहीं खुशियों की बरसात है 
कहीं उम्मीद का सूरज है 
कहीं मायूसी भरी रात है 
कहीं है जुदाई 
कहीं मुलाकात है 
किसी से न कह पाये 
वो अनकही बात है 
यादों के हर पल को 
इन पन्नों में छुपाया  है 
पढ़ कर उन लम्हों को 
ये दिल मुस्कुराया है 
           
-नीतू ठाकुर 

6 टिप्‍पणियां:

पहलगाम का किस्सा पूछो : नीतू ठाकुर 'विदुषी'

 पहलगाम का किस्सा पूछो  मेंहदी लगी हथेली से । प्रिय के शव पर अश्रु बहाती  नव परिणीता अकेली से ।। धर्म पूँछकर लज्जित करते  तन पर निर्मम वार क...