बुधवार, 28 मार्च 2018

तन्हाईयों में अक्सर.....नीतू ठाकुर


तन्हाईयों में अक्सर तेरा ख्याल आया 
गुजरे हुए लम्हों ने कितना हमें रुलाया 
किस्मत में थी तन्हाई मंजूर कर लिया 
तेरे लिए जहाँ से खुद को दूर कर लिया 

अपनों से जीतने का टूटा मेरा भरम 
बनने लगी हैं गम पर तन्हाईयाँ मरहम 
नादान दिल को इतना मगरूर कर लिया 
खुशियों से दूर रहने को मजबूर कर लिया 

जिस झील के किनारे सपने बुने थे हमने 
उस झील को ही अपना साथी बनाया गम ने 
कुछ तोहमतों ने  घायल जरूर कर लिया 
अरमानों को इस दिल ने चकनाचूर कर लिया  

कहता है ये जमाना झूठी है ये मोहब्बत 
इस मतलबी जहाँ में जिसकी नही जरूरत 
तुमसे वफा का दिल ने कसूर कर लिया 
इस ज़िंदगी को हमने नासूर कर लिया 

- नीतू ठाकुर 

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!नीतू जी ,बहुत खूबसूरत लिखा आपने़ !!

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  2. दिल टूटा तो लगता है जहाँ रूठ गया, फिर भी कहीं न कहीं कोई दिया टिमटिमाता है, पास बुलाता है, राहत देता है
    बहुत सुन्दर

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-03-2017) को "दर्पण में तसबीर" (चर्चा अंक-2926) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक २९/०३/२०१८ की बुलेटिन, महावीर जयंती की शुभकामनायें और ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. प्रिय नीतू जी तन्हाई को जैसे खुद जी कर शब्दों मे ढाल दिया सचमुच अंदर तक छू गई आपकी गजल।
    उम्दा बेहतरीन।

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    उत्तर
    1. शुक्रिया.... रचना सार्थक हुई आपकी सराहना पाकर

      हटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय 'विश्वमोहन' जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।


    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  8. बहुत ही उम्दा। गम की स्याही से भीगी रे रचना विचारणीय है।

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  9. दिल को छू लेने वाली रचना। बहुत सुंदर । सादर

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  10. बहुत ही सुन्दर ...हृदयस्पर्शी....
    लाजवाब अभिव्यक्ति
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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