जाने क्यों तेरी याद तेरे बाद भी रही
हर शाम तेरे नाम तेरे बाद भी रही
नाकाम कोशिशें की भुलाने की आप को
ये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही
कब तक तलाशते हम ख्यालों में आप को
चाहत ये बेजुबान तेरे बाद भी रही
आँखों में अश्क़ भरकर रूखसत वो हो गए
उम्मीद हसरतों को तेरे बाद भी रही
हमको पराया कर गए शब्दों के तीर से
हर बात तेरी याद तेरे बाद भी रही
आँखों में नमी दिल में बसती उदासियाँ
सौगात तेरी साथ तेरे बाद भी रही
- नीतू ठाकुर
बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंवाह सखी बेहद उम्दा मन को गहराई तक छू गई आपकी विरह रचना सभी भाव मुखरित हो पटल पर उभर रहे हैं जैसे ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सखी ।
हटाएंआप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।
वाह्ह...बहुत खूब...प्रिय नीतू बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सखी श्वेता जी।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।
हटाएंवाह!!बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंनाकाम कोशिशें की भुलाने की आप को
जवाब देंहटाएंये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही
बहुत बहुत शानदार ग़ज़ल। हर मिसरा बेहद लाज़वाब। पूर्णतः गायन योग्य ग़ज़ल। सरल शब्दों में गहरी बात करने का आपका अंदाज़ सीखने योग्य है।
रचना का मर्म समझने के लिए बहुत बहुत आभार। आशिर्वाद बनाये रखें।
हटाएंबहुत बढिया भावपुर्ण रचना, नितु दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अशआर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएं👌👌👌👌वाह बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंयादै है यादों का क्या
तेरे साथ भी तेरे बाद भी
बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही ...बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंआदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार सखी
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंचाहत ये बेजुबान तेरे बाद भी रही