शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

जाने क्यों तेरी याद.....नीतू ठाकुर

जाने क्यों तेरी याद तेरे बाद भी रही 
हर शाम तेरे नाम तेरे बाद भी रही 

नाकाम कोशिशें की भुलाने की आप को 
ये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही 

कब तक तलाशते हम ख्यालों में आप को 
चाहत ये बेजुबान तेरे बाद भी रही 

आँखों में अश्क़ भरकर रूखसत वो हो गए 
उम्मीद हसरतों को तेरे  बाद भी रही 

हमको पराया कर गए शब्दों के तीर से 
हर बात तेरी याद तेरे बाद भी रही  

आँखों में नमी दिल में बसती उदासियाँ 
सौगात तेरी साथ तेरे बाद भी रही 

 - नीतू ठाकुर 

26 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सखी बेहद उम्दा मन को गहराई तक छू गई आपकी विरह रचना सभी भाव मुखरित हो पटल पर उभर रहे हैं जैसे ।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी ।
      आप की प्रतिक्रिया हमेशा ही हौसला बढाती है।

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  2. वाह्ह...बहुत खूब...प्रिय नीतू बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना👌

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  3. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का इस प्रतिक्रिया के लिए।

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  4. नाकाम कोशिशें की भुलाने की आप को
    ये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही

    बहुत बहुत शानदार ग़ज़ल। हर मिसरा बेहद लाज़वाब। पूर्णतः गायन योग्य ग़ज़ल। सरल शब्दों में गहरी बात करने का आपका अंदाज़ सीखने योग्य है।

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    उत्तर
    1. रचना का मर्म समझने के लिए बहुत बहुत आभार। आशिर्वाद बनाये रखें।

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  5. बहुत बढिया भावपुर्ण रचना, नितु दी।

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  6. 👌👌👌👌वाह बेहतरीन ...
    यादै है यादों का क्या
    तेरे साथ भी तेरे बाद भी

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  7. ये जान तेरे नाम तेरे बाद भी रही ...बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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  8. आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया

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  9. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  10. बहुत खूब
    चाहत ये बेजुबान तेरे बाद भी रही

    जवाब देंहटाएं

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