गुरुवार, 11 जनवरी 2018

तेरे जाने के बाद ....नीतू ठाकुर


क्या जी उठूंगी तेरे आँसुओं से 
क्या खेल पाओगे कभी मेरे गेसुओं से

ढूंढ़ने निकले हो हमको दफ़न हो जाने के बाद 
निशान नहीं मिलते है साहब दिल जलाने के बाद

मुद्दतों तेरी याद में तड़पता रहा है दिल 
वक़्त जाया न कर हस्ती मिटाने के बाद

किसी पत्थर से दिल लगा बैठे थे हम 
बहुत मुस्कुराये थे तुम हमको रुलाने के बाद

वक़्त की मार से कोई नहीं बचता 
कीमत समझ आई तुम्हें मोहब्बत खो जाने के बाद

कितने झूठे ख्वाब मेरे आँसुओं में बह गये 
आज भी आँखे है नम तेरे साथ मुस्कुराने के बाद

कितनी शिद्दत से तुम्हें चाहा था मेरे प्यार ने 
कुछ भी नहीं बचा था दिल तुझ पर लुटाने के बाद

इस कदर मुँह मोड़कर गुजरे थे तुम हमदम मेरे 
बहुत तड़पा था मेरा दिल तेरे जाने के बाद 
                - नीतू ठाकुर 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शुक्रवार' १२ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  2. दिल लगाने के बाद अक्सर चोट लगती है पर सिवाय सहने के कुछ हो नहीं पता ..
    जवान के दर्द को लिखा है ...

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