शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

फर्क नहीं पड़ता है कोई करते रहो बवाल ...नीतू ठाकुर

त्राहि त्राहि करती है जनता देश  का बुरा हाल,
फिर भी देश के सारे नेता लगते हैं खुशहाल,
पूँजीपती  के हाथों में है देश का सारा माल,
फिर भी गूँगी बहरी जनता करती नहीं सवाल,
फर्क नहीं पड़ता है कोई करते रहो बवाल,

झूठे सपने सपने बेच रहीं हैं सरकारें बाजारों में,
आस लगाये बैठी जनता नेता घूमें कारों में,
अच्छे दिन की आस में सूखी रोटी हुई मुहाल,
डिग्री लेकर घूम रहें हैं देश के नौनिहाल, 
फर्क नहीं पड़ता हैं कोई करते रहो बवाल,

भूख गरीबी नाच रही है गलियों में चौबारों में,
फिर भी हलचल होती नहीं है देश के पालन हारों में,
विश्व के नक़्शे पर सोने की चिड़िया है कंगाल, 
नारी जब महफ़ूज रही हो नहीं है ऐसा साल, 
फर्क नहीं पड़ता है कोई करते रहो बवाल, 

देश के दुश्मन बन बैठें हैं देश की खातिर काल,
वीर जवानों की कुर्बानी से धरती है लाल, 
चाहे मुख पर कालिख मल दो चाहे करो हलाल, 
कैसे पूतों के हाथों में है ये ये देश विशाल, 
फर्क नहीं पड़ता है कोई करते रहो बवाल, 

                  - नीतू ठाकुर 

11 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. कितना भी बवाल करो देश में हालात नहीं सुधरेंगे.....
    वाह!!!

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  3. वर्तमान समय की स्थिति को दर्शाती यह रचना।

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  4. ये बवाल तो मच रहा है और नेताओं का ख़ुशहाल हो रहा है ...
    सभी जगह बवाल मचा हुआ है आज ...
    सार्थक और सामयिक रचना है ...

    जवाब देंहटाएं

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