मंगलवार, 21 जनवरी 2020

अधर को मौन रहने दो....नीतू ठाकुर 'विदुषी'

नव गीत 
14/14

अधर को मौन रहने दो
नयन हर भेद खोलेंगे
हृदय भी मौन ही समझे 
समझ के भाव बोलेंगे 

धरा का मौन बादल ही
समझता जानता है सब
चकोरी चाँद की बातें 
सुनाई दे रही हैं अब 
मयूरा मेघ से कहता 
बता हिय बात ही वो कब

मगर कुछ देख बेचैनी 
बरस के प्रीत घोलेंगे 
अधर को मौन रहने दो
नयन हर भेद खोलेंगे

कहे कुछ ज्वार भाटा भी 
मिले सागर कहाँ चंदा
पलक ही बोल देती हैं 
हिले जब भाव में मंदा
बचे रति बाण से कैसे 
पड़े जब नेह का फंदा    

सभी यूँ मूक दिखते हैं 
नहीं ये मौन डोलेंगे
अधर को मौन रहने दो
नयन हर भेद खोलेंगे

भ्रमर से बोलती है कब 
गुलाबी सी कली महकी 
भले ही दौड़ती देखी 
कभी तितली कहीं बहकी 
जले सब आग में बेशक 
कहेंगी ये नहीं दहकी 

मगर ये उस समर्पण में 
कहाँ कब मौन तोलेंगे
अधर को मौन रहने दो
नयन हर भेद खोलेंगे

नयन में रंग बासन्ती
बहारें देख फागुन की 
भरे मन झूल अम्बर सी 
पड़ी जब डाल जामुन की 
हिलोरें उठ रही ऐसे 
बने ज्यूँ झाग साबुन की 

अगर दृग में फँसे आकर
समझ ले खूब रोलेंगे
अधर को मौन रहने दो
नयन हर भेद खोलेंगे

नीतू ठाकुर 'विदुषी'

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर नवगीत👌👌👌 सुन्दर भावभिव्यक्ति👌👌👌 कल्पना और यथार्थ का मनोहारी सृजन, प्रशंसनीय

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत खूबसूरत लिखा आपने हर बंद में शब्दों की खूबसूरती निखर कर आ रही है

    जवाब देंहटाएं
  3. मन के भावों को अभिव्यक्त करता सुंदर नवगीत सखी

    जवाब देंहटाएं
  4. अधर जब मौन होते हैं नजर से बात होती है।
    यही खामोशी नए रिश्ते की शुरुआत होती है।।
    बहुत सुन्दर, सुमधुर, मनोहारी नवगीत आदरणीया 👏👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!सखी ,सुंदर भावाभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  6. अप्रतिम अप्रतिम 👏👏👏👏👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
  7. अधर को मौन रहने दो
    नयन हर भेद खोलेंगे.... वाह! अप्रतिम भाव सौंदर्य!!!

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  9. अधरों का मौन मुखरित हो गया
    शब्दों के ताने बाने से।
    बहुत प्यारी सुंदर शृंगार भावों से ओत-प्रोत, सरस रचना ।
    मानवीय करण
    अन्योक्ति
    और उपमा अलंकार का सुंदर प्रयोग।
    भाषा सुंदर ।
    भाव अहसास से सराबोर ।
    बिंब बहुत सुंदर प्रतीकों का सुंदर प्रयोग
    अप्रतिम अभिराम ।
    बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  10. अति सुंदर सृजन...भाव और प्रवाह लाज़वाब हैं प्रिय नीतू।

    जवाब देंहटाएं
  11. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 23 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही सुन्दर, अप्रतिम लाजवाब नवगीत
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर,मनोहारी रचना👌👌✔👌👌👌

    जवाब देंहटाएं

आदियोगी - नीतू ठाकुर 'विदुषी'

गुरुदेव की रचना 'आदि योगी' से प्रेरित एक गीत  आदियोगी मापनी - मुखडा ~ 21/21 मात्रा अन्तरा - 14/14 शीत लहरों से घिरे इक हिम शिखर पर स...