हे धन्य धन्य भारत भूमी हम तुम्हें पूजते जाएंगे,
वीर शहीदों को वंदन कर श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे,
यह देश तिरंगा हो जाये हम इतने ध्वज फहराएंगे,
इस हिंद देश की महिमा को द्विगुणित आज बनाएंगे,
इस देश का पावन पर्व है ये गणतंत्र दिवस मनाएंगे...
न जाने कितने ही ज्ञानी इस धरती ने उपजाए है,
अद्भुत सांस्कृतिक विरासत से उनको परवान चढ़ाये है,
हम वीर शहीदों की गाथा को युगों युगों तक गाएंगे,
जो भूल गए है देश प्रेम हम उनको याद दिलाएंगे,
इस देश का पावन पर्व है ये गणतंत्र दिवस मनाएंगे...
इस पतित पावनी भूमि पर दुश्मन भी जिस दिन आएगा,
नफरत का मंत्र भूलाकर वो इस मिटटी का हो जायेगा,
हम आज भुलाकर बैर सभी खुशियों को गले लगाएंगे,
कोई नफरत की डोर न हो हम ऐसा देश बनाएंगे,
इस देश का पावन पर्व है ये गणतंत्र दिवस मनाएंगे...
इस देश में कितनी बीमारी है नफरत,भूख,बेकारी है,
पर धरती माँ का दोष नहीं ये हम सब की लाचारी है,
आज नहीं तो कल मिलकर हम सारे कष्ट मिटायेंगे,
इस धरती माँ की कीर्ति को हम दुनिया में फैलाएंगे,
इस देश का पावन पर्व है ये गणतंत्र दिवस मनाएंगे...
है संविधान ताकत अपनी सच्चे मन से अपनाएंगे,
आदर्श नागरिक बनकर हम भारत आदर्श बनाएंगे,
हर संकट और समस्या से हम मिलजुलकर टकराएंगे,
खाएंगे आज शपथ मन में जब राष्ट्रगीत हम गाएंगे,
इस देश का पावन पर्व है ये गणतंत्र दिवस मनाएंगे...
- नीतू ठाकुर